भगवान दत्तात्रेय तथा अन्य देवताओंके देवालयोंमें होनेवाले अनाचारोंको रोकें !

सारिणी

१. शांतिसे भावपूर्वक दर्शन करनेसे दर्शनका वास्तविक लाभ होता है ।

२. दत्तात्रेयका अनादर रोकें !

३. धर्मद्रोही विचारोंका खंडन करें !

४. धर्मकी रक्षा हेतु ‘हिंदू जनजागृति समिति’ एवं ‘सनातन संस्था’के कार्यमें सम्मिलित हों !

५. देवी-देवताओंका अनादर रोकना, समष्टि स्तरकी उपासना


 

१. शांतिसे भावपूर्वक दर्शन करनेसे दर्शनका वास्तविक लाभ होता है ।

दर्शनके लिए भीड न करें । पंक्तिमें खडे होकर शांतिसे दर्शन करें । देवालयमें अथवा गर्भगृहमें कोलाहल न करें । कोलाहलसे देवालयकी सात्त्विकता घटती है तथा वहां दर्शन करनेवाले, नामजप करनेवाले अथवा ध्यानमें बैठे श्रद्धालुओंको भी कष्ट होता है । कभी-कभी देवताके सामने कुछ रुपए रखनेके लिए बहुत आग्रह किया जाता है । इसकी नम्रतापूर्वक अनदेखी करें । मंदिरका परिसर स्वच्छ रखें । परिसरमें प्रसादके कागद, खाली वेष्टन, नारियलके खोल इत्यादि दिखें, तो उन्हें तुरंत उठाकर कूडादानमें डालें । देवालयकी सात्त्विकता सुरक्षित रखना प्रत्येक श्रद्धालुका कर्तव्य है । अतः उपर्युक्त अनाचारोंके विषयमें, देवालयमें आनेवाले श्रद्धालुओंका तथा देवालयके पुजारी, न्यासी इत्यादिका नम्रतासे उद्बोधन करें ।

 

२. दत्तात्रेयका अनादर रोकें !

वर्तमानमें देवताओंका विविध प्रकारसे अनादर किया जाता है । उदा. चित्रकार श्री. संजीव खांडेकरद्वारा बनाया दत्तात्रेयका भद्दा चित्र ‘डीएन्ए’ नामक अंग्रेजी दैनिकके मुंबई संस्करणने प्रकाशित किया है । (संदर्भ – दैनिक ‘सनातन प्रभात’, ४.१२.२००६); हिंदूद्वेषी चित्रकार म.फि. हुसेनने हिंदुओंके देवी-देवताओंके नग्न चित्र बनाकर उन्हें विक्रयके लिए चित्र-प्रदर्शनियोंमें रखा; व्याख्यान, पुस्तकें आदिके माध्यमसे भी देवी-देवताओंकी आलोचना की जाता है । व्यावसायिक विज्ञापनोंमें देवताओंका ‘मॉडेल’के रूपमें प्रयोग किया जाता है । नाटक-चलचित्रोंके माध्यमसे भी दिन दहाडे अनादर किया जाता है ।

देवताओंके नग्न / अश्लील चित्र बनाकर उनकी सार्वजनिक बिक्री करनेवालोंका तथा ऐसे चित्रोंकी प्रदर्शनी लगानेवालोंका विरोध करें ! देवताओंका अनादर करनेवाले विज्ञापनसे युक्त उत्पादों, समाचारपत्रों एवं कार्यक्रमों उदा. नाटकोंका बहिष्कार करें ! देवताओंकी वेशभूषामें भीख मांगनेवालोंको रोकें ! देवताओंका अनादर करनेसे धर्मप्रेमियोंकी भावनाएं आहत होती हैं । इसके संबंधमें पुलिस थानेमें परिवाद (शिकायत) प्रविष्ट करें !

 

३. धर्मद्रोही विचारोंका खंडन करें !

वर्तमान समयमें व्याख्यान, पुस्तक आदिके माध्यमसे देवता, हिंदु धर्म, हिंदु संस्कृति, आर्य इत्यादिकी आलोचनाएं की जाती हैं । ऐसी आलोचनाओं अथवा धर्मद्रोही विचारोंका वैध मार्गसे तुरंत प्रतिवाद करें क्योंकि, ऐसे विचारोंसे हिंदुओंकी धर्मश्रद्धा डगमगा जाती है । यह प्रतिवाद निश्चित रूपसे कैसे करना चाहिए, इस संबंधमें सनातन संस्थाने अपने विविध विषयोंके ग्रंथोंमें यथास्थान बोधप्रद जानकारी प्रकाशित की है । हिंदुत्ववादी नियतकालिक, ‘सनातन प्रभात’में भी यह विषय समय-समयपर प्रकाशित किया जाता है ।

 

४. धर्मकी रक्षा हेतु ‘हिंदू जनजागृति समिति’ एवं ‘सनातन संस्था’के कार्यमें सम्मिलित हों !

‘हिंदू जनजागृति समिति’ एवं ‘सनातन संस्था’ गत कुछ वर्षोंसे, देवताओं एवं संतोंका निरादर, उत्सवोंमें होनेवाले अनाचार, प्रस्तावित धर्मद्रोही ‘अंधश्रद्धा निर्मूलन अधिनियम’, मंदिरोंका सरकारीकरण इत्यादिके विरोधमें वैध मार्गसे व्यापक जनजागरण अभियान चला रही हैं । भगवान दत्तात्रेयके भक्तो, आप भी समिति एवं संस्थाके साथ इस पावन कार्यमें सम्मिलित होकर धर्मके प्रति अपना कर्तव्य निभाएं और देवताओंकी अधिकाधिक कृपा अर्जित करें ! यदि आप धर्मकी रक्षा करेंगे, तो ही धर्म (ईश्वर) आपकी रक्षा करेगा !

 

५. देवी-देवताओंका अनादर रोकना, समष्टि स्तरकी उपासना

श्रद्धा देवताओंकी उपासनाका मूल है । देवी-देवताओंका उपरोक्त प्रकारसे अनादर करनेसे लोगोंकी यह श्रद्धा न्यून होती है । इसलिए ऐसे कृत्य पाप हैं । पाप, अर्थात् धर्महानि रोकना कालानुरूप आवश्यक धर्मपालन है तथा यह देवताकी समष्टि स्तरकी उपासना ही है । यह उपासना किए बिना देवताकी उपासना पूर्ण नहीं हो सकती । इस कारण, दत्तात्रेय भक्तोंको इस विषयमें जाग्रत होकर देवताओंके अनादरसे होनेवाली धर्महानिको रोकना चाहिए । ‘सनातन संस्था’ इस संदर्भमें वैधानिक मार्गसे सक्रिय है ।

 

संदर्भ : सनातन-निर्मित ग्रंथ ‘ दत्त – भाग १’

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